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MR. DEPUTY CHAIRMAN: Tapanji, take only two minutes. ...(Interruptions)... It is not going on record. ...(Interruptions)...

श्री राम कृपाल यादव : *

(समाप्त)



श्री उपसभापति : आप बैठिए। ..(व्यवधान).. आपके लिए एक भी मिनट का समय नहीं था, फिर भी मैंने आपको पांच मिनट दिए। Time allotted was over. ...(Interruptions)... I gave you extra time. ...(Interruptions)... It is not going on record. ...(Interruptions)...

SHRI TAPAN KUMAR SEN (WEST BENGAL): Sir, I can assure you at the outset that before you ring your bell, I will stop. Sir, I want to draw the attention of the Government and the Home Minister to two issues. Number one, there was a general estimate of the lives lost, including missing. About the estimate of pilgrims, it is near accurate. It can be understood because there is a two-way cross-checking. It is from the State Government and from those whose people had gone for pilgrimage. So, it is near accurate. But I am sure, and please revisit that aspect, that the estimate of the loss of local people lives is a total underestimate, if you really go through the kind of devastation and the areas covered under it.

(Contd 3S/USY)


* Not recorded.
-KLS-USY/GS/3S/5.00

SHRI TAPAN KUMAR SEN (CONTD.): If you really go through the kind of devastation and the area covered under it, it is really a total under-estimate and that needs to be revisited. Particularly, many of the people of those categories -- घोड़े वाला, तांगे वाला, who used to live on various occupations related to tourism -- are not registered. Many of them are migrants. So, in these areas, a big loss has taken place. That under-estimation needs to be corrected if justice has to be done to the poor people. Your relief operation must be inclusive, not exclusive. So, this is one aspect.

The second aspect, to which I would like you to give priority, is to ensure a proper relief and rehabilitation and to develop and improve the connectivity. Most of the arterial roads, in the State of Uttarakhand, have got severely affected. These have become totally unserviceable, especially in the districts like Pithoragarh, Chamoli, Uttarakashi, Rudraprayag. Many of those roads are under the Border Road Organisation, Ministry of Defence. I came across a statement made by the hon. Defence Minister about the kilometer area of roads affected. That figure is not very large. But we cannot draw any conclusion from that because even if one kilometer goes bad, the whole road becomes unserviceable and the people are not able to reach there. Till now, according to whatever reports I have received through my Party channels, people are carrying loads and taking the road to reach the affected areas, as the motorable roads are still not serviceable. (Time-bell) I am just concluding, Sir. So, I think, these aspects have to be given priority. And, naturally, priority has to be given by both –the Border Roads Organization, under the Ministry of Defence, as well as the State Public Works Department, which is connecting the roads from the habitation to the main road. (Time-bell)



MR. DEPUTY CHAIRMAN: Okay; okay.

SHRI TAPAN KUMAR SEN: Unless this is done, I think, relief and rehabilitation could not be taken up with that promptness.

(Ends)


MR. DEPUTY CHAIRMAN: Thank you. Now, Shri Gahlot. Take only three minutes.

श्री थावर चन्द गहलोत (मध्य प्रदेश): धन्यवाद सर। हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड में जो भारी प्राकृतिक आपदा आई, उसके कारण बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। धार्मिक विश्वसनीयता भी कम हुई है, पर्यटन को बड़ा धक्का लगा है। पहले लोग धार्मिक यात्रा पर बहुत बड़ी संख्या में आते थे, अब वे कुछ दूसरी बात करने लगे हैं। घटना घटित होने से पहले भी कुछ उपाय किए जा सकते थे जिससे इतना नुकसान नहीं होता, लेकिन घटना घटित होने के बाद जो उपाय करने चाहिए थे, वे पर्याप्त मात्रा में होते हुए दिखाई नहीं देते हैं। देश भर के लोगों में एक अविश्वास की भावना पैदा हो रही है। उत्तराखंड में समुचित और संतुलित विकास करने के लिए पर्यटन का उद्योग कम न हो, वहां पर जाने वालों की संख्या कम न हो, इस दृष्टिकोण से कुछ उपाय करने की आवश्यकता है। अगर ये उपाय नहीं करेंगे, तो उत्तराखंड का विकास नहीं हो पायेगा। देश की जनता इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए तैयार है और उसने आर्थिक सहायता दी भी है, परन्तु घटना घटित होने के बाद जो राहत सामग्री गई है, वह व्यवस्थित रूप से नहीं बंट रही है जिसके कारण लोगों में अविश्वसनीयता पैदा हो रही है।

सर, मैं एक निवेदन करना चाहूंगा कि सांसदों ने जब गुजरात में भूकम्प आया था, तब भी सांसद निधि से और अपने वेतन से पैसा दिया था। अंडमान- निकोबार में जब सुनामी आई थी, तब उसके लिए भी पैसा दिया था और असम में भी पैसा दिया था। उसका सदुपयोग हुआ था, परन्तु यहां सदुपयोग होगा, यह बात लोगों के गले के नीचे उतर नहीं रही है। हम भी सांसद निधि से पैसा देना चाहते हैं। गुजरात में अच्छी व्यवस्था की गई थी, वहां पर प्रोजेक्ट तैयार करके 10-20 सांसदों का एक समूह बनाकर कहा गया था कि इसको आप कर लो या आप अपने ढंग से प्रोजेक्ट को सेलेक्ट कर लो। इस प्रकार की व्यवस्था उत्तराखंड में भी लागू होनी चाहिए, परन्तु वहां के मुख्य मंत्री जी ने कहा है कि आपको पैसा देना हो, तो मुख्य मंत्री राहत कोष में या प्रधान मंत्री राहत कोष में दे दो। उस राहत कोष में पैसा देने के बाद उसका सही उपयोग होगा, इसका विश्वास लोगों को नहीं हो रहा है इसलिए लोगों को पैसा देने में संकोच हो रहा है।



(ASC/3T पर जारी)

ASC-PK/5.05/3T

श्री थावर चन्द गहलोत (क्रमागत) : महोदय, मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहूंगा कि जिस प्रकार से गुजरात में व्यवस्था की गई थी, उस प्रकार की अनुमति यहां भी मिलेगी तो ज्यादा अच्छा होगा। आज उत्तराखंड के समुचित और संतुलित विकास की आवश्यकता है, क्योंकि यह देवभूमि है। लोगों में देवी-देवताओं और धर्म के प्रति अनास्था पैदा न, इसलिए सभी प्रभावित धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। अगर यह जीर्णोद्धार भी कोई सामाजिक संगठन करना चाहे या किसी प्रदेश की सरकार करना चाहे, तो इस दृष्टिकोण से भी विचार करना चाहिए। मैं यह अनुभव कर रहा हूं कि अभी वहां की सरकार का यह दृष्टिकोण ठीक नहीं है। ....(समय की घंटी)... इसके कारण से लोगों में अविश्वास की भावना पैदा हो रही है। मैं आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि वहां पर जो नुकसान हुआ है, सरकार शीघ्रातिशीघ्र उसकी भरपाई की योजना बनाए और एक सर्वदलीय समिति का गठन करे, जिसमें उत्तराखंड की सरकार के प्रतिनिधि भी हों, वहां के विरोधी दल के नेता भी हों और यदि केन्द्र सरकार से भी कोई प्रतिनिधि जाना चाहे तो अच्छा होगा। आज वहां पर निश्चित रूप से विश्वास पैदा करने की आवश्यकता है। यदि वहां विश्वास पैदा करेंगे, तो देश की जनता हर प्रकार का सहयोग देने के लिए तैयार है। ...(समय की घंटी).. मैं आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध करूंगा कि वह इस दृष्टिकोण से, इस दिशा में कुछ कारगर कदम उठाए। धन्यवाद।

(समाप्त)



DR. NAJMA A. HEPTULLA (MADHYA PRADESH): Sir, I just want to add something. जो माननीय सदस्य ने कहा है, मैं इसी सिलसिले में कह रही हूं। मैंने चेयरमैन साहब को चिट्ठी लिखी, जब सबसे पहले मेम्बर पार्लियामेंट के फंड से पैसा गया था, तो वह ओडिशा के सुपर साइक्लोन के लिए गया था। मैं उस वक्त एमपीलेड की चेयरमैन थी। अब आप एमपीलेड चेयरमैन हैं, इसलिए मैं आपकी मदद करना चाहती हूं। मैंने राज्य सभा के सभी एमपीज़ को चिट्ठी लिखी और मंत्री को भी चिट्ठी लिखी कि आप उन्हें अपनी स्टेट से बाहर पैसे देने की परमिशन दे दीजिए। मंत्री महोदय ने मेरी चिट्ठी कबूल की और हमें इजाजत दे दी कि हम अपनी स्टेट के बाहर पैसा ले जाएं। उस समय हमें केवल दो करोड़ रुपए मिलते थे। मैंने उस दो करोड़ में से सिर्फ दस लाख की मांग की थी। हमें राज्य सभा से साढ़े सात करोड़ रुपया मिला था। कमेटी ने ओडिशा के चीफ मिनिस्टर से यह कहा था कि हम पैसा आपके हाथ में नहीं देंगे। हम राज्य सभा की कमेटी की निगरानी में वहां पर कुछ बनाना चाहते हैं और यह तय हुआ था कि वहां पर स्कूल बनाएंगे। हमने ओडिशा में 75 स्कूल बनवाए। इस काम के लिए हर मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट की तरफ से दस लाख रुपए दिए गए थे। वहां पर जो 75 स्कूल बने थे, उन सभी स्कूलों पर नेम प्लेट लगी थी। आप चाहें, तो जाकर देख सकते हैं। जब गुजरात में अर्थक्वेक आया, तो मैंने फिर एमपीज़ को चिट्ठी लिखी कि आपने ओडिशा के लिए मदद की थी, अब गुजरात के लिए मदद करें। मैंने उनसे यह नहीं कहा था कि आप इतना एमाउंट दें। हमें राज्य सभा के एमपीज़ ने 31 करोड़ रुपया दिया था और मैंने उस समय अपनी तरफ से 2 करोड़ रुपए दे दिए थे। गुजरात में अर्थक्वेक के समय भी हमने अपनी एमपीलेड की कमेटी और जो हमारे एमपी मदद के लिए इन्ट्रस्टेड थे, हमने उनकी कमेटी के जरिए, वहां पर डेवलपमेंट का काम किया। सर, आपने देखा होगा कि गुजरात के अंदर एनबीसीसी और हुडको ने निर्माण का काम किया। इस कार्य के लिए हमने सेन्ट्रल गवर्नमेंट की एजेंसी को काम दिया और यह काम एनबीसीसी और हुडको की निगरानी में हुआ था। वहां पर कमेटी खुद गई और जाकर उसका एसेसमेंट किया।

MR. DEPUTY CHAIRMAN: Okay.

डा. नजमा ए. हेपतुल्ला: सर, यह बहुत सीरियस बात है।

MR. DEPUTY CHAIRMAN: Okay, but we are doing it.

डा. नजमा ए. हेपतुल्ला : उसके बाद फिल्म बनी और वह फिल्म दूरदर्शन पर दिखाई गई कि इतना अच्छा काम हुआ है। मगर अनफॉरचुनेटली सुनामी के टाइम पर जो पैसा गया, उसका कोई पता नहीं है कि वह कहां खर्च हुआ। हम लोग पैसा देने के लिए तैयार हैं। मैंने चेयरमैन साहब को चिट्ठी लिखी है, वह आपके पास होगी।

MR. DEPUTY CHAIRMAN: No.

डा. नजमा ए. हेपतुल्ला : मैंने लिखा कि आप इसको किसी तरीके से एग्जामिन करें और हम स्टेट गवर्नमेंट के हाथ में पैसा नहीं देंगे। यह पैसा हमारा है और हमें सरकार डेवलपमेंट के लिए देती है। हम अपनी निगरानी में खर्च करेंगे, लेकिन स्टेट गवर्नमेंट को नहीं देंगे।

MR. DEPUTY CHAIRMAN: We will take it up later, separately.

डा. नजमा ए. हेपतुल्ला : आप यह ध्यान रखिए, जब आपकी कमेटी की मीटिंग होगी तो मैं उस समय आपको ब्रीफ कर दूंगी।

(समाप्त)



MR. DEPUTY CHAIRMAN: Okay. Separately, we can take it up. Now, I have completed all names. There are two names received late.

If they assure that they will stick to two minutes; then, I will call them. Okay. Now, Shrimati Gundu Sudharani. You have only two minutes.



(Followed by PB/3U)

PB-LP/3u/5.10

SHRIMATI GUNDU SUDHARANI (ANDHRA PRADESH): Thank you, Mr. Deputy Chairman, for having given me this opportunity.

Sir, Uttarakhand disaster is an unprecedented disaster which has never happened in the pilgrimage places in the history of our country. More than 5,000 people from Andhra Pradesh and also thousands of people from other places went to Uttarakhand on pilgrimage. Many people have died in this tragedy. First of all, I want to salute and praise the jawans who have undertaken rescue operations to rescue the pilgrims. I have no hesitation in saying that the State Government and the Central Government have utterly failed in carrying out relief and rescue operations. Many people remained stranded for many days there. I am proud to say that our leader, Shri Nara Chandrababu Naidu, has taken initiative to rescue the people of Andhra Pradesh in Uttarakhand. He has arranged special aircrafts to lift the people from Uttarakhand to Delhi and from Delhi to Andhra Pradesh, and he also took steps to set up medical camps in Delhi and Uttarakhand for providing medical assistance to the affected people.

I request that all those people who have died in this calamity has to be paid a compensation of Rs. 10 lakhs. I also request that this calamity be treated as a national calamity and sufficient funds should be released by the Government of India for relief, rehabilitation and restoring the past glory of the temple.

As regards the Government’s failure to take steps on predictions made by Meteorological Department, I request that henceforth, the Government should be careful in taking steps beforehand so that such disaster does not occur again.

(Ends)

चौधरी मुनव्वर सलीम (उत्तर प्रदेश) : माननीय उपसभापति महोदय, मैं उत्तराखंड की त्रासदी पर यह कह सकता हूं कि, “ज़माना बड़े शौक से सुन रहा था, तुम ही सो गए दास्तां कहते-कहते।” वहाँ पर जो लोग मारे गए हैं और कुदरती आफ़त का शिकार हुए हैं, मैं अपनी ओर से और अपनी पार्टी की ओर से दिल की गहराइयों से उनको ख़िराजे अकीदत पेश करता हूं, उनको श्रद्धांजलि पेश करता हूं। कुदरत के आगे किसी का बस नहीं है, जब इंसानियत कराहती है, तो मज़हब छोटे हो जाते हैं और हर इंसान की आँखें नम हो जाती हैं। माननीय उपसभापति जी, उत्तरांखड की त्रासदी ऐसी ही त्रासदी थी, लेकिन यदि सिस्टम को दुनियावी ऐतबार से देखा जाएगा तो उस त्रासदी के लिए दो चीज़ें और भी जिम्मेदार हैं। एक, पहाड़ों का उत्खनन, जंगलों की कटाई और दूसरा, वे लोग, जो छोटे प्रदेश बनाने का ख्वाब देखते हैं। अगर आज उत्तराखंड बड़ा प्रदेश होता, तो हम मिल-जुलकर इस आफ़त को बांट लेते। आज मैं इस बात पर खुशी का इज़हार करता हूं कि मेरी सरकार ने, यानी उत्तर प्रदेश की सरकार ने, अखिलेश यादव जी की सरकार ने सबसे पहले, सबसे बड़ा फंड उस विपत्ति के समय उत्तराखंड की आपदा के लिए दिया था। अभी इस सदन में, हमारी मौजूदगी में एक सीनियर एम.पी. यह कह रहे थे कि उत्तर प्रदेश सरकार की लिस्ट आज तक नहीं पहुँची है, तो मैं यह कहना चाहता हूं कि अगर लिस्ट नहीं पहुँची है तो वे मेरे घर से लिस्ट ले सकते हैं। हमारी सरकार ने बाकायदा एक कंट्रोल रूम बनाया है। हम इस त्रासदी को सियासत से नहीं जोड़ना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि पूरा मुल्क एक होकर उन तमाम लोगों को श्रद्धांजलि पेश करे, जो इस आफ़त का शिकार हुए हैं। बहुत-बहुत शुक्रिया। हिंदुस्तान ज़िंदाबाद।

(समाप्त)



چودھری منوّر سلیم (اتّر پردیش) : مانّئے اپ سبھا پتی مہودے، میں اتّراکھنڈ کی تباہی پر یہ کہہ سکتا ہوں "زمانہ بڑے شوق سے سن رہا تھا، تم ہی سو گئے داستاں کہتے کہتے"۔ وہاں پر جو لوگ مارے گئے ہیں اور قدرتی آفت کا شکار ہوئے ہیں، میں اپنی اور سے اور اپنی پارٹی کی اور سے دل کی گہرائیوں سے ان کو خراج عقیدت پیش کرتا ہوں، ان کو شردّھانجلی پیش کرتا ہوں۔ قدرت کے آگے کسی کا بس نہیں ہے، جب انسانیت کراہتی ہے، تو مذہب چھوٹے ہو جاتے ہیں اور ہر انسان کی آنکھیں نم ہو جاتی ہیں۔

مانّئے اپ سبھا پتی جی، اتّراکھنڈ کی تباہی ایسی ہی تباہی تھی، لیکن اگر سسٹم کو دنیاوی اعتبار سے دیکھا جائے گا تو اس تباہی کے لئے دو چیزیں اور بھی ذمہ دار ہیں۔ ایک، پہاڑوں کا اتکھنّ، جنگلوں کی کٹائی اور دوسرا، وہ لوگ، جو چھوٹے پردیش بنانے کا خواب دیکھتے ہیں۔ اگر آج اتّراکھنڈ بڑا پردیش ہوتا، تو ہم مل جل کر اس آفت کو بانٹ لیتے۔ آج میں اس بات پر خوشی کا اظہار کرتا ہوں کہ میری سرکار نے، یعنی اتّر پردیش کی سرکار نے، اکھیلیش یادو جی کی سرکار نے سب سے پہلے، سب سے بڑا فنڈ اس پریشانی کے وقت اتّراکھنڈ کی آپدا کے لئے دیا تھا۔ ابھی اس سدن میں، ہماری موجودگی میں ایک سینئر ایم۔پی۔ یہ کہہ رہے تھے کہ اتّر پردیش سرکار کی لسٹ آج تک نہیں پہنچی ہے، تو میں یہ کہنا چاہتا ہوں کہ اگر لسٹ نہیں پہنچی ہے تو وہ میرے گھر سے لسٹ لے سکتے ہیں۔ ہماری سرکار نے باقاعدہ ایک کنٹرول روم بنایا ہے۔ ہم اس تباہی کو سیاست سے نہیں جوڑنا چاہتے ہیں، ہم چاہتے ہیں کہ پورا ملک ایک ہو کر ان تمام لوگوں کو شردّھانجلی پیش کرے، جو اس آفت کا شکار ہوئے ہیں۔ بہت بہت شکریہ، ہندوستان زندہ باد۔

(ختم شد)
THE MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF HOME AFFAIRS (SHRI MULLAPPALLY RAMACHANDRAN): Mr. Deputy Chairman, Sir, I express my deep gratitude to the hon. Members who have participated in this short duration discussion on the unprecedented disaster which has occurred in the State of Uttarakhand. Sir, altogether twenty-four distinguished Members have taken part in the discussion and they have immensely contributed to this meaningful debate.

Sir, at the outset, let me pay homage to all those known and unknown persons who have lost their precious life in this horrendous natural calamity. I also take this opportunity to place on record my appreciation of the heroic role played by our personnel in the Indian Air Force, ITBP, Army, NDRF, BRO, Armed Forces Medical Services and all other agencies, including NGOs. They have provided prompt support and invaluable service during this time of grave crisis. The sense of dedication, commitment as also the adventure shown by these persons is indeed praiseworthy.



(Contd. by 3w/SK)

-PB/SK-AKG/3W/5.15

SHRI MULLAPPALLY RAMACHANDRAN (CONTD.): Sir, I salute the twenty personnel of the Indian Airforce, ITBP and NDRF who lost their lives in a tragic helicopter crash during their brave efforts to rescue the hapless and stranded persons. Sir, Uttarakhand disaster, as everybody has spoken, is an unprecedented disaster. It is beyond all imaginations. In view of the magnitude of this crisis, the State Government immediately commenced rescue operations and the Government of India has, without any loss of time, pressed into action all its agencies and departments to support the efforts of the State Government in rescue and rehabilitation operation.

Sir, in such an hour of crisis, I am proud to say, people all across the country, cutting across political affiliations, came there to save their brethren. Rescue operation in such a situation is a Herculean task. In spite of this, there was absolute coordination in the relief and rescue operation, leaving no scope for any major complaints as such. Sir, it is to be remembered that this natural disaster happened even before the true monsoon set in Uttar Pradesh. Throughout the world, Sir, natural disasters are taking place at an alarming proportion. A study by the Centre for Research on Epidemiology of Disasters, an academic institution that has collaboration with the World Health Organisation, indicates that in the first decade of the twentieth century, there were 73 disaster events globally. You will be surprised to know that in the first decade of the twenty first century, the number of disasters went up to 4,495. This shows an alarming global change. Sir, the reasons for such a rise in natural calamities could be many, ranging from pressure of population, the manner in which man is interfering with the nature as also the global warming and climate change.

Sir, it is a fact that natural calamities cannot be altogether prevented. But, it is possible to reduce the impact and severity of natural calamities by using modern technology, taking up timely mitigation measures, constant training and capacity building by community-based holistic disaster management. This is a process-oriented task.

SHRI PRAKASH JAVADEKAR: Sir, he is not answering what the hon. Members asked. ..(Interruptions)..

SHRI MULLAPPALLY RAMACHANDRAN: I will answer all the questions posed by the hon. Members. ..(Interruptions).. I will come to all the points raised by the hon. Members. I will reply to all the questions.

MR. DEPUTY CHAIRMAN: See, it would be better to come to the hon. Members’ points so that we can do it as early as possible.

SHRI MULLAPPALLY RAMACHANDRAN: I fully share the sentiments of the hon. Members who have emphasized the need for better preparedness to deal with natural disasters. I am happy to inform this august House that in every new plan, the Central Government have now built in a system whereby each Ministry will have to certify that necessary mitigation concerns are looked into.

Now, Sir, I stand to present before this august House the details of the response measures taken by the Government in the wake of the disaster in Uttarakhand this June. Uttarakhand was devastated by heavy rainfall and the resultant flash floods. Uttarakhand received rainfall of 385.1 mm during the period from 1st June to 18th June, 2013, against the normal rainfall of 71.3 mm which was in excess by 440 per cent, that is, more than five times the normal rain it gets. The period from 16th to 18th June, in particular, witnessed extremely heavy rains.

As the first responder in any calamity, the State Government immediately initiated necessary steps for rescue and relief operation. On receiving advisories from Meteorological Department, the ITBP units, already deployed in Uttarakhand, swung into action. The Government of India also promptly mobilized all Central Ministries and agencies. These agencies provided prompt support to the State Government in their efforts.

Sir, the National Crisis Management Committee, to which the hon. Member was referring, on a continued basis coordinated efforts of all the Central agencies in concert with the State Government, ensuring necessary relief and assistance for immediate rescue operations and restoration of communication system in the State.



(Contd. by YSR/3X)

-SK/YSR-SCH/5.20/3X

SHRI MULLAPPALLY RAMACHANDRAN (CONTD.): The Prime Minister as well as the UPA Chairperson visited Uttarakhand on 19th June to take stock of the situation. Hon. Prime Minister announced an amount to the tune of Rs.1,000 crore to the State. Hon. Home Minister visited the State on 22nd and 28th June 2013 and reviewed the progress with the Chief Minister as also with the senior officers over there. The Government of India tasked a Member of the National Disaster Management Authority to coordinate closely with all the concerned agencies in the field. As a result of this effort, 1.1 lakh persons were evacuated to safer places in the shortest possible time. The scale and magnitude of the disaster was such that more than 580 persons are confirmed to have lost their lives. Besides, another 5,474 persons are still missing and feared to be no more. I am proud to inform this House that our armed forces ...(Interruptions)... rendered commendable service in the search and rescue operations. The Indian Air Force rescued 23,775 persons by deploying over 45 helicopters for the operation and carried out close to 3470 sorties. The Indian Army rescued 38,750 persons with deployment of 8,000 personnel, 150 Special Forces and 12 helicopters. The ITBP deployed 1,200 personnel for the operations and rescued 33,000 persons. The country will long remember the heroic commitment and courage displayed by our armed forces and police as also a large number of civilian officials and tourists who pitched in their efforts with the sole aim of saving as many people as possible.

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