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SHRI K.T.S. TULSI (CONTD)



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SHRI K.T.S. TULSI (CONTD): The raising of demand of Rs. 40,000 crores by reopening assessments is on a laughable legal premise that complying with the directive of SEBI to open a bank account converts them into domestic companies. The ruling by the authority for the advanced tax is itself contrary to the previous rulings and ought to have been contested by the Department. If such demands are sought to be justified, India’s financial future is rot with danger. The Prime Minister may dream big, but, alas, his dreams may be doomed to be shattered. It is only capable of making investment environment most unattractive to foreign investors. Thank you. (Ends)

DEMAND FOR PROVIDING RELIEF TO FAMILY OF HAVILDAR SANJEEV KUMAR OF DHINDAR VILLAGE OF GHAZIABAD MARTYRED IN NAXALITE ATTACK
श्री नरेन्द्र कुमार कश्यप (उत्तर प्रदेश) : उपसभापति महोदय, मैंने हवलदार संजीव कुमार की शहीदी का विषय आज सदन में इसलिए प्रस्तुत किया था कि अगर हमारे देश को और हमारे देश के लोकतंत्र को खुशहाल और मजबूत बनाना है, तो किसान और जवान की सुरक्षा और खुशहाली पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

महोदय, पिछले 35 सालों से हमारे देश में जम्मू और कश्मीर सहित बहुत से प्रांतों में आतंकवाद, नक्सलवाद और माओवाद की घटनाएं निरंतर हो रही हैं। इन घटनाओं में हमारे हजारों जवानों की शहीदी हुई है, लेकिन अभी तक इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकारों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठा है। यदि सरकारों की तरफ से कोई ठोस कदम उठेगा तो देश के जवानों के साथ होने वाली घटनाओं पर भी विराम लग सकेगा।

महोदय, मैं यहां जिस घटना का जिक्र करना चाहता हूं, वह घटना दो अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश में घटी है, जिसमें एक सैन्य वाहन पर पैट्रोलिंग के दौरान हमला हुआ और तीन जवान मौके पर ही हताहत हो गए, शहीद हो गए। इन तीनों ही जवानों के परिवारजनों ने, प्रांत तथा देश के लोगों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया।

महोदय, इन तीन जवानों में से एक जवान हमारे उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद के ग्राम ढिंढार का रहने वाला था। जब मैं उनके परिवार के लोगों से मिला, उसके दो मासूम बच्चे, जवान पत्नी और उनके बूढ़े मां-बाप का हाल देखकर मेरे मन में यह ख्याल पैदा हुआ कि जिन घटनाओं में हमारे देश का जवान शहीद होता है और उसके पीछे उसका परिवार किस हाल में रहता है, उसकी कल्पना करके भी हमें तकलीफ होती है। मैं आपके माध्यम से सरकार से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि यह अकेली संजीव कुमार की शहीदी का विषय नहीं है, यह विषय भारतवर्ष के लाखों जवानों के शहीद होने का है। इस पर सरकार गंभीरता से विचार करे। देश की सीमाओं पर जवान शहीद हो रहे हैं, देश की सीमाओं के अंदर भी शहीदी का क्रम जारी है, इसलिए सरकार से मेरी मांग है इस लम्बे समय से चलते अभियान को रोकने केलिए सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए और शहीद संजीव कुमार का परिवार, उसके मासूम बच्चे,उसकी जवान पत्नी तथा उसके बूढ़े मां-बाप आज मुश्किल के दौर में हैं, सरकार को कुछ आगे बढ़कर उनकी सहायता के लिए पेट्रोल पम्प, गैस एजेंसी आदि की जो भी सुविधाएं संभव हो सकें, देने पर विचार करना चाहिए। धन्यवाद।

(समाप्त)

श्री सतीश चन्द्र मिश्रा (उत्तर प्रदेश) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

श्री के.सी. त्यागी (बिहार) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

श्री वीर सिंह (उत्तर प्रदेश) महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

MR. DEPUTY CHAIRMAN: The names of all those who are associating themselves, including Shri K.C. Tyagi, may be added.

श्री राजपाल सिंह सैनी (उत्तर प्रदेश) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

श्री सालिम अन्सारी (उत्तर प्रदेश) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

श्री किरनमय नन्दा (उत्तर प्रदेश) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

श्रीमती झरना दास बैद्य (त्रिपुरा) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करती हूं।

चौधरी मुनव्वर सलीम (उत्तर प्रदेश) : महोदय, माननीय सदस्य ने यहां जो विषय रखा है, मैं अपने को इससे सम्बद्ध करता हूं।

چودھری منوّر سلیم (اتّر پردیش) : مہودے، مانّئے سدسئے نے یہاں جو وِشے رکھا ہے، میں اپنے کو اس سے سمبدّھہ کرتا ہوں۔

(समाप्त)



(1M/PSV पर आगे)

RG-PSV/1M/11.55

ELECTION OF OFFICE-BEARERS OF

BASKETBALL FEDERATION OF INDIA
SHRI MADHUSUDAN MISTRY (GUJARAT): Sir, this matter relates to the election of office-bearers of the Basketball Federation of India. In March, the General Body of the Basketball Federation of India had the legitimate election process. They elected the President in the General Body meeting and the election result was announced. The entire process was carried out according to the Constitution of the Basketball Federation of India in the presence of the Sports Ministry’s Observers and Sports Ministry’s officials. The results were announced and the President, who was elected, was an active Congress (I) Party Member. In fact, he is an MLC. After this, what happened was that the CEO of the Ministry called another meeting of the Basketball Federation of India in Pune and then started the election process again in which a Member of Parliament, belonging to the Bharatiya Janata Party, was elected as the President and the CEO herself became the Secretary-General of the Basketball Federation of India. This suggests to us that this cannot happen without the involvement of the Sports Ministry officials as well as without the connivance of the Sports Minister himself. We are quite disturbed because ever since the BJP has come into power, there is a kind of nefarious design in which the people from the Congress (I) party, elected to these bodies, are removed by hook or crook or are removed under some pretext, and they try to install people from the Ruling Party as Heads of such Federations, Institutions and even Co-operative Bodies. This has to be stopped because this very nature of the Ruling Party, looks to me, as if they try to catch hold of everything that is not there in their domain or which is in the hands of the Members of the Congress (I) Party. Sir, I urge upon the Sports Ministry and this Government to intervene in the matter and reverse it immediately. They must institute an inquiry and see to it that the legitimately elected President by the General Body of the Basketball Federation of India is brought back and that the Federation is allowed to function without any disturbances from the Ministry itself. Not only that, in respect of the CEO who called the meeting, the illegal meeting just to elect another person, action should be initiated against him because there is no business for the Sports Ministry official to get involved in the political affairs of the Federation. Thank you, Sir.

(Ends)


REPORTED ALLEGATIONS OF A FORMER GOVERNOR ON CENTRAL GOVERNMENT
श्री नरेश अग्रवाल (उत्तर प्रदेश): महोदय, मैं एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाना चाहता हूँ। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल का एक बयान आया कि केन्द्र सरकार हम पर दबाव डाल रही थी कि संविधान के आर्टिकल 356 के तहत दोनों राज्य सरकारों को, जो एक जगह कांग्रेस पार्टी की है और दूसरी जगह समाजवादी पार्टी की है, दोनों राज्य सरकारों को भंग करने का आप प्रस्ताव भेजिए। उन्होंने कहा कि मैं उसका नाम भी बता सकता हूँ कि मुझ पर किसने दबाव डाला।

श्रीमन्, आर्टिकल 356 सदैव विवादित रही है। सरकारिया कमिशन बना। इसके पहले राम लाल जी आन्ध्र प्रदेश में थे। उन्होंने एन.टी. रामाराव की सरकार बर्खास्त की थी। रमेश भंडारी जी उत्तर प्रदेश में थे। उन्होंने भी कभी प्रस्ताव भेजा था। ऐसा एक मामला नहीं है। धारा 356 सदैव विवादित रही है। इस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भी तमाम आदेश आये हैं। गम्भीर बात यह है कि एक पूर्व राज्यपाल अगर यह आरोप लगा रहा है कि उसको राज्यपाल के पद से इस मारे हटाया गया कि वे दो सरकारों को बर्खास्त करने की रिपोर्ट केन्द्र को दें। ...(व्यवधान)...



श्री वी.पी. सिंह बदनौर: सर, ...(व्यवधान)...

श्री नरेश अग्रवाल: यह गम्भीर मामला है। ...(व्यवधान)... श्रीमन्, यह एक गम्भीर मामला है। अगर यह सही बात है, तो सरकार जवाब दे। क्या ये प्रॉक्सी के माध्यम से पूरे देश में राज कर लेंगे? ...(व्यवधान)... क्या प्रॉक्सी के माध्यम से राज करेंगे? यह एक बहुत गम्भीर मामला है।

श्रीमन्, उनका बयान बहुत गम्भीर है और गवर्नमेंट की तरफ से उसका कोई खंडन नहीं आया। यहाँ संसदीय कार्य राज्य मंत्री जी बैठे हैं। वे इसका खंडन करें। नहीं तो श्रीमन्, यह एक विवाद का मुद्दा है और किसी भी केन्द्र सरकार को यह इजाजत नहीं दी जायेगी कि चुनी हुई राज्य सरकारों को भंग करने का उसे मौका मिले। इसलिए, मैं इस गम्भीर मुद्दे को उठा रहा हूँ और मैं चाहता हूँ कि केन्द्र सरकार कम से कम इसको क्लेरिफाई कर दे, वह कोई बयान दे दे, नहीं तो इस पर समाजवादी पार्टी बिल्कुल सहमत नहीं है और यह आन्दोलन का रूप ले सकता है। (समाप्त)

श्री के.सी. त्यागी: सर, ...(व्यवधान)...

श्री उपसभापति: श्रीमती कनक लता सिंह।

श्रीमती कनक लता सिंह: आदरणीय उपसभापति महोदय, ...(व्यवधान)...

संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री मुख्तार अब्बास नक़वी): सर, माननीय नरेश अग्रवाल जी ने ...(व्यवधान)...

MR. DEPUTY CHAIRMAN: Since the Minister wants to intervene and the time is getting over, Kanak Lataji, you repeat the notice for tomorrow. ...(Interruptions)... आप कल के लिए दे दीजिए।

संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री मुख्तार अब्बास नक़वी) : माननीय उपसभापति महोदय, माननीय नरेश अग्रवाल जी ने जिन पूर्व राज्यपाल महोदय के विषय में यहां पर जिक्र किया और उनके बयान का जिक्र किया, हम उसकी हिस्ट्री या ज्योग्राफी में नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन जो बयान उन्होंने दिया है, वह तथ्यों से सरासर परे है, राजनीति से प्रेरित है और कहीं न कहीं किन्हीं व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण से जुड़ा हुआ है। (समाप्त)

MR. DEPUTY CHAIRMAN: Time is over. It is time for Question Hour. ...(Interruptions)... आप कल के लिए अपना नोटिस फिर से रिपीट कर दीजिए।

(12.00-1.00 P.M.-Question Hour)

-BHS/YSR-DS/2:00/2B

The House re-assembled after lunch at two of the clock,

MR. DEPUTY CHAIRMAN in the Chair

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RE. QUESTION OF PRIVILEGE AGAINST D.N.A. AND TEHELKA

नेता विरोधी दल (श्री गुलाम नबी आज़ाद): डिप्टी चेयरमैन सर, मैं रूल 190 के तहत बोल रहा हूँ।

قائد حزب اختلاف (جناب غلام نبی آزاد) : ڈپٹی چیئرمین سر، میں رول 190 کے تحت بول رہا ہوں۔

It is the third paragraph of Rule 190 which is about the mode of raising a question of privilege. It is given at page No.66.



MR. DEPUTY CHAIRMAN: Which Rule is it?

SHRI GHULAM NABI AZAD: It is Rule 190 wherein it is required to be taken up immediately after the questions that means the Question Hour since this is the first item of the agenda.

सर, आज सुबह हमारे एक नॉमिनेटेड मेम्बर ने यह इश्यू उठाया था, लेकिन उस वक्त शायद दूसरा आइटम लेना था, इसलिए आपने बताया कि आपने गलत नोटिस दिया है।



سر، آج صبح ہمارے ایک نومنیٹڈ ممبر نے یہ ایشو اٹھایا تھا، لیکن اس وقت شاید دوسرا آئٹم لینا تھا، اس لئے آپ نے بتایا کہ آپ نے غلط نوٹس دیا ہے۔

श्री उपसभापति: उनका सब्जेक्ट अलग था, इसीलिए मैंने ऐसा कहा था।

श्री गुलाम नबी आज़ाद: मैं इस रूल के तहत उसी को कह रहा हूँ, क्योंकि मैं भी सिग्नेट्री हूँ और तकरीबन 60 लोग across the party lines, इस प्रिविलेज़ मोशन के सिग्नेट्रीज़ हैं। इसलिए, as one of the signatories to it, मैं इस चीज़ को उठा रहा हूँ कि इस साल के 6 अप्रैल और 8 अप्रैल को "डीएनए" और "तहलका" में यह छपा कि राज्य सभा का जो टेलीविजन है, उसमें 2010 से लेकर 2014 तक 1,700 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि सच यह है कि 1,700 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए हैं, सिर्फ 146 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। 146 करोड़ रुपये और 1,700 करोड़ रुपये में तो जमीन-आसमान का फर्क है। उन्हीं पेपर्स में यह भी लिखा गया है कि सीएजी ने राज्य सभा टेलीविजन की वर्किंग और फंक्शनिंग को क्रिटिसाइज़ किया है, जबकि सीएजी की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। उन्हीं पेपर्स में यह भी कहा गया है कि फाइनेंस मिनिस्ट्री ने राज्य सभा टेलीविजन के खिलाफ कोई नोट सर्कुलेट किया है, जबकि ऐसा कोई नोट नहीं है। फिर relevance of television बताया है राज्य सभा के लिए। That becomes the privilege of the House. सर, यह निर्णय न तो आपने लिया है, न मैंने लिया है, न बीजेपी के किसी एक लीडर ने लिया है, न समाजवादी पार्टी, बीएसपी, जेडीयू के किसी लीडर ने लिया है, बल्कि General Purposes Committee, जिसको माननीय सभापति चेयर करते हैं और जिसमें राइट, लेफ्ट एंड सेंटर, सभी पॉलिटिकल पार्टीज़ के लीडर्स मेम्बर्स हैं, उसने यह फैसला लिया है। इसका मतलब है कि पूरी राज्य सभा ने irrespective of their political affiliation, यह निर्णय लिया है। इसके बारे में, the very relevance of Rajya Sabha TV, यह प्रिविलेज़ पूरे हाउस का बनता है और यही कारण है कि सभी पार्टीज़ के एक या दो मेम्बर्स ने नहीं, बल्कि 60 मेम्बर्स ने प्रिविलेज मोशन का नोटिस दिया है। इसलिए मैं आपसे निवेदन करूँगा कि इस प्रिविलेज मोशन को एंटरटेन किया जाए और इस पर कार्रवाई की जाए।

(समाप्त)



جناب غلام نبی آزاد : میں اس رول کے تحت اسی کو کہہ رہا ہوں، کیوں کہ میں بھی سگنیٹری ہوں اور تقریبا 60 لوگ across the party lines, اس پریویلیج موشن کے سگنیٹریز ہیں۔ اس لئے، as one of the signatories to it, میں اس چیز کو اٹھا رہا ہوں کہ اس سال کے 6 اپریل اور 8 اپریل کو 'ڈی۔این۔اے' اور 'تہلکہ' میں یہ چھپا کہ راجیہ سبھا کا جو ٹیلی ویژن ہے، اس میں 2010 سے لیکر 2014 تک 1700 کروڑ روپے خرچ ہوئے، جبکہ سچ یہ ہے کہ 1700 کروڑ روپے خرچ نہیں ہوئے، صرف 146 کروڑ روپے خرچ ہوئے ہیں۔ 146 کروڑ روپے اور 1700 کروڑ میں تو زمین آسمان کا فرق ہے۔ انہیں پیپرس میں یہ بھی لکھا گیا ہے کہ سی۔اے۔جی۔ نے راجیہ سبھا ٹیلی ویژن کی ورکنگ اور فنکشنگ کو کریٹسائز کیا ہے، جبکہ سی۔اے۔جی۔ کی ایسی کوئی رپورٹ نہیں ہے۔ انہیں پیپرس میں یہ بھی کہا گیا ہے کہ فائنینس منسٹری نے راجیہ سبھا ٹیلی ویژن کے خلاف کوئی نوٹ سرکلیٹ کیا ہے، جبکہ ایسا کوئی نوٹ نہیں ہے۔ پھر relevance of television بتایا ہے راجیہ سبھا کے لئے۔ That becomes the privilege of the House. سر، یہ فیصلہ نہ تو آپ نے لیا ہے، نہ میں نے لیا، نہ بی۔جے۔پی۔ کے کسی ایک لیڈر نے لیا ہے، نہ سماجوادی پارٹی، بی۔ایس۔پی۔، جے۔ڈی۔(یو) کے کسی لیڈر نے لیا ہے، بلکہ General Purposes Committee, جس کو مانّئے سبھا پتی چیئر کہتے ہیں اور جس میں رائٹ، لیفٹ اینڈ سینٹر، سبھی پالیٹکل پارٹیز کے لیڈر ممبرس ہیں، اس نے یہ فیصلہ لیا ہے۔ اس کا مطلب ہے کہ پوری راجیہ سبھا نے irrespective of their political affiliation, یہ فیصلہ لیا ہے۔ اس کے بارے میں the very relevance of Rajya Sabha TV, یہ پریویلیج پورے ہاؤس کا بنتا ہے اور یہی وجہ ہے کہ سبھی پارٹیز کے ایک یا دو ممبرس نے نہیں، بلکہ 60 ممبرس نے پریویلیج موشن کا نوٹس دیا ہے۔ اس لئے میں آپ سے نویدن کروں گا کہ اس پریویلیج موشن کو اینٹرٹین کیا جائے اور پر کاروائی کی جائے۔

(ختم شد)



श्री उपसभापति: क्या आपने नोटिस दिया है? Have you given the notice?

SHRI GHULAM NABI AZAD: Yes, Sir.

श्री शरद यादव (बिहार): सर, मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए विरोधी दल के माननीय नेता की बात से संपूर्ण तौर पर सहमत होता हूँ। श्रीमन्, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि इस 1,700 करोड़ रुपये के खर्च के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं है। इस देश में यह सदन इस देश के सवा सौ करोड़ लोगों की धरोहर है। (2सी/केएलजी पर जारी)

KLG-VKK/2C/2.05

श्री शरद यादव (क्रमागत): सभापति जी की चेयरमैनशिप में यहां जीपीसी बनी हुई है। फिर उन्होंने फाइनेन्स मिनिस्ट्री का कहा, कुछ नहीं।

महोदय, मैं यहां यह निवेदन कर दूं कि इस देश में मीडिया की आजादी के लिए तो ऐसा है कि मीडिया की आजादी के बगैर देश नहीं चल सकता, दुनिया नहीं चल सकती। लोकतंत्र का यह एक एक बाजू है, एक बड़ी ताकत है। आज देश में यदि कोई जगह है, तो मैं यह कह दूं कि चाहे आर्ट हो, कल्चर हो, संगीत हो, विज्ञान-ज्ञान हो, लोग सभी चैनल्स खंगालते हैं, देखते हैं, ऊब जाते हैं, तो सिर्फ राज्य सभा टेलीविजन की ओर आते हैं। यह एक ऐसी जगह है, जहां से पूरे देश को पूरा सच तो नहीं, दूर तक सच दिखाने का काम होता है। पार्लियामेंटरी मिनिस्टर साहब बैठे हैं, मैं यह मानता हूँ कि इस विषय से गंभीर कोई सवाल नहीं है। देश में हजारों चैनल चल रहे हैं, अच्छे शो भी दिखाते हैं, खबरों को भी दिखाते हैं, लेकिन एक बात जो मैं महसूस करता हूँ कि हम ही नहीं, देश में अगर आज सबसे ज्यादा कुछ देखा जा रहा है, तो वह राज्य सभा का जो प्रसारण है, इसी को देखा जा रहा है। यहां बहस जिस ताकत के साथ, जिस मजबूती के साथ होती है, उससे सरकार को जरूर दिक्कत होती है, लेकिन अगर बहस जीवंत न हो, तो लोकशाही और लोकतंत्र के कोई मायने नहीं रहता। तो यह चैनल ऐसा है, यहां का प्रसारण ऐसा है, जो आपकी अगुवाई में है। ...(समय की घंटी)... यह सदन ऐसा है, जिस पर हमला होता रहता है। आज ऐसी मर्यादा टूट गई है और बाहर से लोग डिक्टेट तक करते हैं कि यहां किसको एक्सेप्ट करना चाहिए, किसको क्या कर देना चाहिए, इसमें कैसे होना चाहिए, हाउस को क्या करना चाहिए, हम उस पर कभी नहीं बोले। हमारे सदन के लोग भी कभी नहीं बोले, क्योंकि जो हम राजनीतिक लोग हैं, हमारी बरदाश्त की जो शक्ति है, वह ज्यादा है।



श्री उपसभापति: शरद जी, ठीक है, हो गया।

श्री शरद यादव: आप इसको प्रिविलेज मानेंगे, मान लिया। मैं मानता हूँ कि आपकी न्याय बुद्धि इसे मानेगी। मैं तो इसके मायने को रखना चाहता हूँ कि यह खबरों को देने वाला एक ऐसा अकेला ठिकाना है। इस सदन के बाहर जो यह राज्य सभा टेलीविजन संस्था है, उसके सीईओ, सीएजी से लेकर सबके लिए असत्य छप जाए या कोई ऐसी चीज छप जाए और इसे हमारे आसपास डाल दिया जाए।

श्री उपसभापति: ठीक है, शरद जी।

श्री शरद यादव: इसलिए इसको तत्काल स्वीकार करके इस पर बहस भी होनी चाहिए और जिन लोगों ने ऐसा किया है, उनको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। बाकी बाद में रहे, क्योंकि मर्यादा हमारे लिए भी है और मर्यादा लोगों के लिए भी है। वेंकैया जी, यहां बैठे हैं, इसलिए मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा। बहुत-बहुत शुक्रिया।

(समाप्त)



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